साइंस ऑफ़ लव
स्वामी विवेकानन्द प्रेम के लिए क्या कहते है ?
पुरुष को स्त्री की ओर , स्त्री को पुरुष की ओर , मनुष्य को मनुष्य की ओर ,पशुओ को पशुओ की ओर ,मानो समस्त संसार को एक केन्द्र की ओर खिचती हो। यह वही वस्तु है,जिसे प्रेम कहते है । प्रेम से बढकर सुख या आनन्द की कल्पना नही की जा सकती ।
अन्थोनी वाल्स ने अपनी कृति “साइंस ऑफ़ लव “में प्यार के दौरान शरीर के हार्मोंस में परिवर्तन का उल्लेख किया है।
प्रेमभाव का संचालन मस्तिष्क के हायपोथैलमस भाग से होता है,जो की सारी लव फिलिग्स का केन्द्र है। जब कोई प्यार करता है तो उसका मन उल्लास एवं उत्साह से भर उठता है। प्यार की कशिश बढने पर फिनाईल एथिलामाईन का उत्सर्जन बढ़ता है।इससे दिमाग जागरूक और शरीर एक्टिव हो जाता है। आदमी दीवाना सा हो जाता है। जिसे वैज्ञानिक रसायनों का चमत्कार कहते है।
पीयूष ग्रथि भी इसमें प्रभाव डालती है । यह एड्रीनल ग्रथि को उत्तेजित करती है , जिससे दिल की धड़कने बढ जाती है और रगों में खून तेजी से दोड़ने लगता है । ऐसी हालत में नसों के किनारे एन्दार्फिन नामक रसायन का स्राव होने लगता है जो सारी स्किन को बहुत सेन्सेटिव बना देता है । एक प्यार भरे स्पर्श में जो जादू होता , उसकी यही वजह तो हे ।
इस तरह प्रेम हमारे शरीर का सौदर्य भी बढाने लगता हे ।
प्रेमी भूख कम लगती हे । क्योकि उसके शरीर में एड्रेनेलिन हार्मोन का स्तर ऊँचा रहता है । अशांत व्यक्ति जरुरत से ज्यादा भोजन करते है .इसलिए मोटे होते है ।
प्रेमी युगल (कपल) भीतर से शांत होते है इसलिए कम मोटे होते है ।
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“DIL TO DIL HAI”
BY PANKAJ JAIN@ ALL RIGHTS RESERVED
CALL TO ORDER BOOK,DVD”LOVE” OR LYRICS
09754381469
09406826679
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